इस शख्सने खोजी 780 भारतीय भाषाएं
भारत में 1961 मे जनगणना हुई थीं. इस दौरान भारत में कुल 1652 भाषाएं थीं. इंग्लिश के पूर्व प्रोफेसर गणेश देवीने भारतीय भाषाओं की खोज शुरू कियी. गणेश ने इस खोजबीन के दौरान पाया कि हिमाचल प्रदेश में बोली जाने वाली 16 भाषाओं में बर्फ के लिए 200 शब्द हैं. उन्होंने ये पाया कि राजस्थान के खानाबदोश समुदाय में बंज़र परिदृश्य को बयां करने के लिए काफी सारे शब्दों का इस्तेमाल होता है. रेगिस्तान में एकांत को लेकर आदमी और जानवर कैसा महसूस करते हैं, ऐसे अनुभव के लिए खानाबदोश समुदाय के पास अलग शब्द हैं. महाराष्ट्र के मुंबई नजीक दजर्नों गावमे गणेश ने ये पाया कि लोग पुतर्गाली की चलन से बाहर हुई भाषा बोलते हैं. इसी तरह अंडमान निकोबार में रहने वाले लोगों का एक समूह म्यांमार की जातीय भाषाकारेन बोलता है. खानाबदोश, जिन्हें एक वक्त में ब्रिटिश शासकों ने अपराधी जनजाति करार दिया था, अब वो घर चलाने के लिए दिल्ली के ट्रैफिक सिग्नलों पर नक्शे बेचते हैं. ये लोगसीक्रेट भाषा बोलते हैं, जिसकी वजह उनके समुदाय से जुड़ा कलंक है. गणेश अपनी इस खोजबीन में पाते हैं कि भारतीय करीब 125 विदेशी भाषाओं को अपनी मातृ•भाषा की तरह बोलते हैं. भाषाविद् डॉक्टर गणेश की भाषाओं को लेकर कोई ट्रेनिंग नहीं हुई है.गणेश गुजरात की एक यूनिवसिर्टी में 16 साल तक इंग्लिश पढ़ाने के बाद अब एक दूरवर्ती गांव में आदिवासियों के साथ काम कर रहे हैं. वो इन लोगों की हेल्थकेयर प्रोजेक्ट्स, वित्तीय और बीज बैंकों को लेकर मदद कर रहे हैं. शख्सने अबतक 780 भाषाएं खोजी है.
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